जन लीडर न्यूज सहारनपुर। वाणिज्य कर अधिकारियों ने एक बार फिर कर अपवंचन को खुली छूट देते हुए ठेकेदारी प्रथा शुरू कर दी है। इतना ही नहीं किसी भी कर अपवंचक ट्रांसपोर्टर की गाड़ी न पकड़ने की गारंटी भी ली जा रही है, जिसके एवज में एक के दो,दो के चार लाख रूपये कर अपवंचकों से लिये जा रहे है। साथ ही रोड चैकिंग के नाम पर खुली वसूली की जा रही है।
सहारनपुर में वाणिज्य कर अधिकारियों ने 2011 के बाद कर अपवंचन पर रोक लगानी शुरू की थी, जो कि 30 जून 2019 तक बादस्तूर जारी रही। कर अपवंचन पूरी तरह खत्म तो नहीं हुआ, लेकिन काफी हद तक कमी आयी। इतना ही नहीं पूर्व में लगभग 3 वर्ष सहारनपुर में बिताने वाले एडिशनल कमिश्नर ग्रेड 2 विनय अस्थाना ने पूरे जोन में बड़े-बड़े कर अपवंचकों को उनके घर बिठा दिया था या फिर जोन सहारनपुर का रास्ता बदलने पर मजबूर हो गए थे, लेकिन विभागीय ट्रांसफर के बाद, फिर से कर अपवंचन व्यापक स्तर पर शुरू हो गया। सूत्रों की मानें, तो सहारनपुर जिले की हालत यह हो गयी है कि अधिकारी इस बात पर चर्चा करते है कि किस कर अपवंचन से कितना आता था और कितना बढ़ाना है या उसका डबल करना है। 50 हजार रूपये वाले पर 1 लाख, 1 लाख वाले पर दो लाख और दो लाख वाले पर चार लाख रूपये कर दिया गया है। यानि डबल राशि लेकर गाडी न पकड़ने की गारंटी दी जा रही है, जबकि एक असिस्टेंट कमिश्नर महोदय तो ऐसे है कि फुल गारंटी के साथ काम करा रहे है। यदि कोई वाणिज्य कर अधिकारी किसी कर अपवंचन की गाड़ी पकड़ता है, तो उस अधिकारी पर दबाव बनाकर कहते है कि चाहे कोई उच्चाधिकारी कहे या मुख्यालय की सूचना हो, हम गाड़ी नहीं पकड़ेंगे, जबकि ऐसा एक उच्चाधिकारी के साथ भी हो चुका है। यह महोदय अपने सीनियर ऑफिसर को मना कर चुके है। बिना किसी कार्रवाई के दफ्तर से गाड़ी को छोड़ दिया जाता है। एक ऐसा ही मामला विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। सहारनपुर आने वाली कर अपवंचन की गाड़ियां एडिशनल कमिश्नर पुलिस मुख्यालय द्वारा मेरठ की टीम से बागपत से पकड़वाई गयी, जिनमें लाखों रूपये राजस्व जमा हो रहा है और शामली तक में सहारनपुर वाली गाड़ियां रोकी जा रही है, लेकिन सहारनपुर सचल दल अधिकारी अपनी ही तिजौरियां भरने में लगे है। अब तो लगता है कि एडिशनल कमिश्नर पुलिस मुख्यालय ही बाहरी टीमों से सहारनपुर के कर अपवंचन पर कुछ अंकुश लगा सकते है, अन्यथा सब राम भरोसे।
घोषित कर अपवंचकों को मिला अभयदान
वैसे तो मुख्यालय से लेकर उच्चाधिकारियों तक समय-समय पर घोषित कर अपवंचकों के विरूद्ध की गई कार्रवाई के बारे में पूछा जाता है, लेकिन शायद सहारनपुर सचल दल अधिकारियों से या तो कोई पुछता नहीं है या फिर शायद कोई सैटिंग का खेल ऊपर तक चलना शुरू हो चुका है। क्योंकि जुलाई से पहले तक शायद ही कोई घोषित कर अपवंचक ट्रांसपोर्टर ऐसा हो जिसकी गाड़ियां समय-समय पर न पकड़ी जाती हो या फिर गोदाम की जांच न होती हो और अच्छा खासा राजस्व न जमा होता हो। लेकिन जुलाई 2019 के बाद ऐसा क्या हुआ कि घोषित कर अपवंचकों की गाड़ियां पकड़े जाना भी एक आध छोड़कर लगभग बंद सा ही हो गया है। शायद ही किसी गोदाम की जांच हुई हो। अब या सहारनपुर में आई धुरंधरों की इस टोली ने सहारनपुर कर अपवंचन मुक्त बना दिया है या फिर माजरा कुछ ओर ही है, लेकिन हैरत की बात है कि इन सब पर एडिशनल कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर ग्रेड टू, ग्रेड 1 से लेकर मुख्यालय तक मौन है।